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वार्षिक प्रतियोगिता-12-Feb-2022 ( प्रकृति)

सुनो ज़रा ध्यान से सुर इस बहती हवा का,

हर राज़ ए दिल खोल देती है यह पागल हवा,
सुनो ज़रा इन बादल की गड़गड़ाहट 
सन्देश देते हैं ना जाने ये क्या क्या
सुनो ज़रा बलखाना इन नदियों का
दे जाती है हर बार कोई नयी अदा
चिड़ियों का चहचहाना,तितली का इठलाना 
मज़बूत चट्टानों का इक आह से पिघल जाना 
प्रकृति सिखाती है जीने की हर सम्भव अदा 
सुनो ज़रा हर राज़ ए दिल खोलती है यह पागल हवा।।।

रूही

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